अदम में थी मेरी रुह जसदे खाकी से पहले, मुझे कौन जानता था मेरी ज़िन्दगी से पहले|
इताअतो-बंदगी नही अब ज़िन्दगी से पहले, आज़ाद है ज़िन्दगी मेरी, तेरी पाबंदी से पहले|
मेरी ज़िन्दगी में है अब वहम ऐ खुदा! तेरा, वरना तू क्या ख़ुदा था मेरी ज़िन्दगी से पहले|
कौन जानता है तेरा फ़ैसला रोज़े अज़ा से पहले, इस जहाँ में है मेरी ज़िन्दगी तेरी बंदगी से पहले|
मेरी ज़िन्दगी है तो बंदगी है जहाँ में 'शकील', वरना कौन पूछता बंदगी को ज़िन्दगी से पहले| ( अदम-परलोक, जसदे खाकी-मिटटी से बना शरीर,वहम-भ्रम, रोज़े अज़ा-प्रलय, इताअत-आज्ञा-पालन )