जब वो याद आये, दर्दे-जिगर होने लगा,
चश्म दे गए धोखा, दर्दे-असर होने लगा|
चश्म दे गए धोखा, दर्दे-असर होने लगा|
मेरा दिल,कशिश से किस कदर रोने लगा,
लाख चाह रोने पे काबू,उल्टा असर होने लगा|
जो ख़बर उनकी आई दिल में कुछ होने लगा,
ख़ुद से मैं,मुझसे ख़ुद,दिल बेख़बर होने लगा|जो हमने सुनाई अपनी दास्ताँ- ए-हाले दिल,
हर तरफ़ चश्म तर, माहौल नम होने लागा|
न जाने किसने छेडी दास्ताँ- ए-चश्म नम मेरी,
महफ़िल में हर ज़ुबां कियों ज़िक्रे दर्द होने लागा|
उनके कूचे में जाना ही पड़ेगा , अब हो जो हो,
जाने कियों 'शकील' फ़िर दिल बेताब होने लगा|