क्या कहूँ किस से कहूँ दर्द कोई सुनता नही,
दिल की लगी ख़ुद दिल अपनी सुनता नही|
दास्ताने दर्द कहूँ किससे मै अपनी जहाँ में,
बादर्द जहाँ में बेदर्द कोई मुझे मिलता नही|
चीख़ना- चिल्लाना बेइंतिहा है दुनिया में,
क्या करूँ आवाज़ मेरी कोई सुनता नही|
बस्तियों के जहाँ में घर कोई दिखता नही,
इतने बड़े जहाँ में अहले बशर मिलता नही|
रौशन है आफ़्ताब पर कोई दिखता नही,
तन्हा है सफ़र हम सफर कोई मिलता नही|
कहाँ रुकूँ कहाँ जाऊँ इस जहाँ में 'शकील',
दूर तक कोई मुक़ाम अपना दिखता नही|
Thursday, December 3, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
itna toota hoon mai ki choone se bikhar jaunga
ReplyDeletemujhe or duaye doge to mai mar jaunga
pooch kar waqt ko mera pata jaya na karo
mai to banjara hoon jane kidhar jaunga.
badard jahan me dard kahne ke liye ye bedard hai na kyo tention lete ho?