सफरे ज़िन्दगी में,
देखते-देखते कट गये रास्ते|
सफर दर-सफर मिल गये रास्ते,
कभी ठहरे तो कभी मिल गये रास्ते।
मंजिलो की जुस्तुजू में,
नये-नये बन गये रास्ते।
काम आयी जुनून की सरगर्मी,
बर्फ बन के पिघल गये रास्ते|
चलते-चलते सफर में,
कौसों निकल गये रास्ते|
कौन रोक सका है भला,
इन रास्तों के रास्ते|
हर मोड़ पर घर-घर में,
बन गए हजारो रस्ते|
जो रुक गये हम एक दम 'शकील
हम से आगे निकल गये रास्ते.
Saturday, July 11, 2009
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