हम इंसानों से बेहतरी पाई है |
तर्शे तो हैकाल बन खुदा बने,
वरना किसी दीवार की हद बने|
है तेरा नसीब कि तू तर्शेने वाले का माबूद,
और वो तेरा बंदा बने|
तुझे खाने को मेवाओं की गिजा मिले,
इंसानों को फाके या तेरे चढावे का बचा मिले|
तू फनकार के फन का करिश्मा,
और वो तेरी ज़ात का ताबेदार बने|
यही तरी बेहतरी जिसका तू मुहताज,
वो तेरी इबा दत् डट का हक़दार बने|
जिसने तुझे सजाया संवारा "शकील",
आख़िर वो फंना तू कदीम अपनी जगह बने|
No comments:
Post a Comment