Friday, June 19, 2009

संग

ऐ संग तुने भी क्या किस्मत पाई है ,
हम इंसानों से बेहतरी पाई है |

तर्शे तो हैकाल बन खुदा बने,
वरना किसी दीवार की हद बने|

है तेरा नसीब कि तू तर्शेने वाले का माबूद,
और वो तेरा बंदा बने|

तुझे खाने को मेवाओं की गिजा मिले,
इंसानों को फाके या तेरे चढावे का बचा मिले|

तू फनकार के फन का करिश्मा,
और वो तेरी ज़ात का ताबेदार बने|

यही तरी बेहतरी जिसका तू मुहताज,
वो तेरी इबा दत् डट का हक़दार बने|

जिसने तुझे सजाया संवारा "शकील",
आख़िर वो फंना तू कदीम अपनी जगह बने|

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