अदब
Thursday, June 18, 2009
बहुत मुश्किल हैं अपने सच की मुखालफत "शकील",
इतनी आसन भी नही अपने झूठ की हिमायत
करना|
मेरी ज़िन्दगी मैं है मैं वहम ऐ! खुदा तेरा,
जो मैं न होता "शकील"तो तू खुदा क्या होता| |
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Shakeel Parwez
jalore, Rajasthan, India
Associate Professor Dept.Of Economics Govt.P.G.College,jalore बहुत मुश्किल हैं अपने सच की मुखालफत "शकील", इतनी आसन भी नही अपने झूठ की हिमायत करना|
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