बे -मुरव्वत ,बेहया हो गया|
एक दूजे से जुदा हो गया,
अपने-अपने दीन का खुदा हो गया|
यह आदमी को क्या हो गया ?
हैवानियत का नशा हो गया|
न कोई दुःख न किसी का दर्द ,
ख़ुद-परस्ती का गवाह हो गया|
कौन लुटा, कौन मरा,
खूँ सुफेद, कल्ब सियाह हो गया|
इंसानियत के रिश्तों को तोड़,
फिरका-परस्ती में मुब्तिला हो गया|
शेतानो की तो क्या कहें !
यह आदमी को क्या हो गया?
अफ़सोस बहुत अफ़सोस "शकील",
आदमी, हिंदू या मुसलमान हो गया|
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