राज़ ऐ-ज़िन्दगी सुना रहा हूँ,
खली हाथ मैं जा रहा हूँ|
लोग आ रहे है दर को मेरे,
बेबस कुचे से मैं जा रहा हूँ|
कारवा हैं शामिल मय्यत में मेरी,
तन्हा,फ़ना होने मैं जा रहा हूँ|
कोई रो रहा रहा, कोई हँस रहा है,
चुप -चाप कांधो पर मैं जा रहा हूँ|
ऐ कन्धा देने वालो देखों ज़रा,
जाते-जाते 'शकील' तुम को मंजिल मैं दिखा रहा हूँ|
खली हाथ मैं जा रहा हूँ|
लोग आ रहे है दर को मेरे,
बेबस कुचे से मैं जा रहा हूँ|
कारवा हैं शामिल मय्यत में मेरी,
तन्हा,फ़ना होने मैं जा रहा हूँ|
कोई रो रहा रहा, कोई हँस रहा है,
चुप -चाप कांधो पर मैं जा रहा हूँ|
ऐ कन्धा देने वालो देखों ज़रा,
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