Monday, July 27, 2009

हकीक़त

ज़िन्दगी की हकीक़त जब रौशन होती है,
अंधेरों में ज़िन्दगी गुज़र गई होती है|

बेदारी तो लाज़िम है नींद के बाद,
ज़िन्दगी ख्वाबों में गुज़र गई होती है|

शब की तारिकियों में न उलझ सितारों में,
सेहरे इंतजार में रात गुज़र गई होती|

उम्रे शबाब में तो कहाँ फुर्सत होती है,
होश आने पर उम्र गुज़र गई होती है|

ख़बर जब होती है तेरे तिलिस्म की 'शकील',
हयाते आरज़ू ख़ुद जुस्तजू बन गई होती है|

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