Tuesday, July 14, 2009

खुशी

वक्त से खुशी उधार लेते हैं,
उदास ज़िन्दगी को बहार देते हैं|

कर के खुशामद गर्दिशे दौरां की,
अपने बिगड़े हालात संवार लेते हैं|

रचा के फसले गुलों की रंगीनियां,
धुंधले माहौल को निखार लेते हैं|

ये न कोई सौदा न तिजारत है कोई,
प्यार दे कर हम उनका प्यार लेते हैं|

जहाँ भी मिल जाए घनी छांव "शकील"
घड़ी-दो-घड़ी वक्त अपना गुज़ार लेते हैं|

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