वक्त से खुशी उधार लेते हैं,
उदास ज़िन्दगी को बहार देते हैं|
कर के खुशामद गर्दिशे दौरां की,
अपने बिगड़े हालात संवार लेते हैं|
रचा के फसले गुलों की रंगीनियां,
धुंधले माहौल को निखार लेते हैं|
ये न कोई सौदा न तिजारत है कोई,
प्यार दे कर हम उनका प्यार लेते हैं|
जहाँ भी मिल जाए घनी छांव "शकील"
घड़ी-दो-घड़ी वक्त अपना गुज़ार लेते हैं|
Tuesday, July 14, 2009
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