वही रहरौं जहदे ज़िन्दगी में कामरां होगें,
इरादे जिनके पुख्ता हौसले जवाँ होगें|
जो हौसले रखते ही मौसमे खिज़ां मे,
वो ही कल इस चमन के बागबाँ होगें|
लुटा दे अपनी हस्ती जो वतन के लिए ,
वो ही इस ज़मीं के कल शाहंशाह होगें|
जो देते सहारा किसी को हर हाल मे,
वो ही'शकील'हर राज़ के राजदां होगें|
संभल जाओं ऐ वतन के रखवालों,
वरना हस्ती न तारीख़ के निशाँ होगें|
(रहरौं -मुसाफिर,जहदे-कोशिश, कामरां -कामयाब)
Saturday, April 17, 2010
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जो भारत मै उगाया था, वाह खुद टकरा कर जल मिट गया ....
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