Friday, August 21, 2009

बंदगी

अदम में थी मेरी रुह जसदे खाकी से पहले,
मुझे कौन जानता था मेरी ज़िन्दगी से पहले|

इताअतो-बंदगी नही अब ज़िन्दगी से पहले,
आज़ाद है ज़िन्दगी मेरी, तेरी पाबंदी से पहले|

मेरी ज़िन्दगी में है अब वहम ऐ खुदा! तेरा,
वरना तू क्या ख़ुदा था मेरी ज़िन्दगी से पहले|

कौन जानता है तेरा फ़ैसला रोज़े अज़ा से पहले,
इस जहाँ में है मेरी ज़िन्दगी तेरी बंदगी से पहले|

मेरी ज़िन्दगी है तो बंदगी है जहाँ में 'शकील',
वरना कौन पूछता बंदगी को ज़िन्दगी से पहले|
( अदम-परलोक, जसदे खाकी-मिटटी से बना शरीर,वहम-भ्रम,
रोज़े अज़ा-प्रलय, इताअत-आज्ञा-पालन )

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