मर्हबा मर्हबा आज़ादी आई है,
खुशियों का अम्बार लाई है|
हर ज़र्रे पर खुशियाँ छाई है,
यह देख खुदाई भी मुस्कराई है|
शहीदों की शाहदत रंग लाई है,
हर फ़ज़ा में आज़ादी आई है|
नैक-नीयती का पैगाम लाई है,
अमन-चैन का ईनाम लाई है|
इम्तिहान की नई सुबह आई है,
मोहब्बत का नया साया लाई है|
हर एक की तमन्ना है खुशहाली,
हमारी आज़ादी यह उम्मीद लाई है|
मर्हबा मर्हबा आज़ादी आई है ,
हर सिम्त नई उमंग लाई है|
पुर सकूँ ज़िन्दगी हो सब की,
दुआओं का यह सिलसिला लाई है|
बड़े जद्दो-जेहद से आजादी आई है,
ज़ुल्मो-सितम सह हमने इसे पाई है|
देखना है कितना ज़ोर बाजू-ए-लाल मे है,
कितनी मशक्कत रोटी-ए-हलाल मे है|
मर्हबा मर्हबा आज़ादी आई है,
नई सबाए, नई बहारे 'शकील' लाई है|
Friday, August 14, 2009
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