हम तेरे शहर से निकले है गुनहगारों की तरह,
आज आज़माए गए है हम खताशियरो की तरह|
तेरी महफ़िल में नज़र उठी परेहजगारो की तरह,
हम पे इल्ज़ाम लगाये गए खतावारो की तरह|
तेरे शहर में आए थे हम वफादारों की तरह,
तेरे क़दमो से ठुकराए गये खाकसरो की तरह|
तेरी खिदमत में था सलाम खिदमतगारो की तरह,
तेरे सलूक़ से उम्मीद न थी हमें पर्ददारो की तरह|
जाने क्यों चले आए तेरे शहर में ग़मख्वारो की तरह,
सताए गए हम 'शकील' तेरे शहर में मैख्वारो की तरह|
(खताशियर -पापी, मैख्वार-शराबी )
Thursday, August 6, 2009
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