तेरी निगाहें जिसके सीने से गुज़र जायगी,
ख़ुद जायगी गुज़र,पर सीने में ज़ख्म कर जायगी|
ये दुनिया है मुसाफिरखाना हर कोई जायगा,
एक ज़िंदगी आयगी तो दूसरी बेख़बर जायगी|
न जाने कब ये ज़िंदगी गुज़र जायगी,
जायगी जिस वक्त सब को ख़बर कर जायगी|
तेरी हस्ती है बुलबुला, है उम्र का एक हिसाब,
कौन जाने कब एक दम यहाँ से कूच कर जायगी|
जो दे गया एक मुस्कराहट बाग में आकर एक गुल,
देखना गुंचे के सौ टुकड़े, ज़िंदगी कर जायगी|
इम्तिहाँ लेती नही शमा ख़ुद जलकर परवानों का,
क्या ख़बर थी कि ज़िंदगी यूँ खेरात कर जायगी|
ख़ुद-ब-ख़ुद खींच लायगी ज़िंदगी अपनी फ़ना,
बाकी का काम 'शकील' मौत कर जायगी|
Friday, March 26, 2010
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