आज वो भी ग़म के मारे नज़र आने लगे,
उड़ गई नींद इशक़ में तारे नज़र आने लगे|
लब खामोश, दिल परेशाँ, आंखों में नींद,
अब तो वो कुछ ज़्यादा प्यारे नज़र आने लगे|
लबों से अब वो भी साजे इशक़ गुनगुनाने लगे,
आँखों ही आँखों में वो न जाने क्यों शर्माने लगे|
हम तो समझते थे उनको दरिया- ए- तूफाँ,
आज हमे वो साहिल-ए-दरिया नज़र आने लगे|
कल तलक था उनका खुद दिल पर इख़्तियार,
आज वो ही'शकील' दिल के मारे नज़र आने लगे|
Tuesday, January 5, 2010
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gazzab ka likha hai sir
ReplyDeletevo or bhi pyare nazar ane lage
gazzab vaakai
sir ye word verification hata deejiye
ReplyDeletethoda theek rahega comment post karne me
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
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