Sunday, April 25, 2010

मिज़ाजे ग़म

मिज़ाजे ग़म की जिन्हें कोई ख़बर नही होती,
ख़ुशी में भी कही उन्हें ख़ुशी मय्यसर नही होती|

जो जलते है चिराग़ बन के तेरी महफिल में,
उनके घर में कभी चिरागे रौशनी नही होती|

ग़म-- इश्क में जब तक हुस्न शामिल हो,
ग़म-- मोहब्बत में कभी दिलकशी नही होती|

बे-वफाई के इस जहाँ में वफ़ा का नाम ले,
वफ़ा के नाम से अब हमें कोई ख़ुशी नही होती|

मेहरबनिया तो बड़ी चीज़ है दोस्ती के पहलू में,
दुश्मनी में भी तो अब कुछ शाइस्दगी नही होती|

शरीके ग़म बनाने चले हो जहाँ में किसे 'शकील'
शरीके ग़म ये दुनिया कभी किसी के नही होती|

1 comment:

  1. मेहरबनिया तो बड़ी चीज़ है दोस्ती के पहलू में,
    दुश्मनी में भी तो अब कुछ शाइस्दगी नही होती|

    gazzab sirji lage rahiye

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