परहेज़गारों को छोड़ा और मैख्वारों में आ पहुँचा,
ख्वाहिशे मै के ख़ातिर गुनहगारों में आ पहुँचा|
चमन में रहता था गुलशने यार होता था,
खारजारों में आ पहुँचा, बयाबानों में आ पहुँचा|
मैं बेगाना था रिन्दों की महफ़िल में कभी,
ग़नीमत है की महफिले मैख्वारों में आ पहुँचा|
अगर यहाँ मै से प्यार भी एक जुर्म है यारों,
फ़िर तो खातावारों में,सितमगरों में आ पहुँचा|
महलों के रंगीन नज़ारे कल की बात थी,
साकी के ज़ुल्मत भरे नाज्ज़रों में आ पहुँचा|
जो चाहते है पुर सकूँ ज़िन्दगी, उनको मुबारक हो,
मंजिले जुस्तजू था मैं की आवारों में आ पहुँचा|
भटकता फ़िर रहा था आरज़ू-ए-मंजील में'शकील',
यह यारों की मेहरबानी है की में यारों में आ पहुँचा|
Wednesday, April 14, 2010
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