Tuesday, September 29, 2009

सफ़र


सफ़र-ए-ज़िंदगी में रास्ते तलाशते चलो,
बस्तियों में इन्सान तलाशते चलो|

हैवानियत के दौर में ख़ुद को बचा के चलो,
रास्ता न मिले तो रास्ते बना के चलो|

राहे मुश्किल है ज़रा संभल के चलो,
पिछे न देखिये अपने मुकाम पे चलो|

कयाम है ज़िंदगी का आखरी पड़ाव,
ज़िंदगी में अपना वक़ार बने के चलो |

खिजायों में चलो या बहारों में चलो,
काँटों से अपना दामन बचा के चलो|

रुकना नही सफ़र का मकसद चलते चलो,
मुश्किलों में 'शकील' हौसला बना के चलो|

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