गमे इश्क़ में हम यार मारे जायगे,
इस जहाँ से कहीं जब उस जहाँ जायंगे|
कुछ इरादा जो हमने किया उधर का,
हम नही उनमे जो बिन बुलाये जायगे |
तू जलाती है हमें ऐ शमा ! देखना,
फलक तक हमारी आहों के शौले जायंगे|
इश्क़ क्या है बतायंगे तुझे ऐ दरिये हुस्न ,
एक दिन हम भी समन्दर पार उतर जायंगे|
बहुत है तमन्नाए अभी 'शकील' अपनी बाक़ी,
होंगी सभी ज़मींदोज़, अरमां अधूरे जायगे|
Friday, September 11, 2009
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