Wednesday, December 2, 2009

ग़ुस्सा

आप ग़ुस्सा ज़रा शराफ़त से कीजिये,
अदावत ही सही पर ज़रा नफ़ासत से कीजिये|

दिल का क्या आईना है टूट जायेगा ,
आप अपना वार ज़रा नज़ाकत से कीजिये|

वफ़ा न सही हम से जफ़ा ह़ी कीजिये,
मगर ख़ुद अपने दिल से ज़रा नदामत न कीजिये|

हमें कोई शिकवा न शिकायत है तुमसे,
जो भी कीजिये आप ज़रा अक़ीदत से कीजिये,

ख़ामोश निगाहों से यूँ गज़ब न कीजिये,
मेरे दिल पर वार आप ज़रा लताफ़त से कीजिये|

हया का तुम्हे वास्ता हम से पर्दा न कीजिये,
ग़ुस्सा ही सही 'शकील' आप ज़रा नज़ाबत से कीजिये|

(नफ़ासत-नर्मी से, नज़ाकत-कोमलता,वफ़ा-निर्वाह,
जफ़ा-अत्याचर,लताफत-मृदुलता,नदामत-अफ़सोस,
अक़ीदत-आस्था,नज़ाबत-शराफ़त)

No comments:

Post a Comment