Friday, November 27, 2009

गमे -इश्क़

इश्क़ में गमे दिल दिया मुझे,
उपर वाले ने आख़िर क्या दिया मुझे|

मेरे दर्दे दिल के गमे मिज़ाज ने,
आख़िर मुस्कराना सिखा दिया मुझे|

लुत्फे मै की कोई बात नही साक़ी,
ज़हर ने भी खूब लुत्फ़ दिया मुझे|

जब भी गमे इश्क़ से घबरा गया,
इश्क़ ने ख़ुद सहारा दिया मुझे|

हयाते गफ़लत थी ज़िंदगी मेरी'शकील'
दफ्तन इश्क़े आवाज़ ने चोंका दिया मुझे|


1 comment:

  1. मेरे दर्दे दिल के गमे मिज़ाज ने,
    आख़िर मुस्कराना सिखा दिया मुझे|
    gazzab sirji...

    vo gum tha jo mujhse har subho shaam mila
    practical karne ko use mera makan mila.

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