जो औरो के लिए बसर कर दे ज़िन्दगी अपनी,
उनकी जिंदगी कभी मुख्तसर नही होती|
जो चिराग़ बन कर जलते हो सरे-आम,
उन्हें अंधेरो से कभी दिललगी नही होती|
जो जीते हो किसी की हसरत बन कर,
उन्हें किसी से कोई दुश्मनी नहीं होती|
जो चलते हो काँटों भरी राहों पर अक्सर,
उन्हें मंजिलों की जुस्तजू नहीं होती|
जो खिलते है फूल बन कर सरे-राह,
उन्हें काँटों से कभी दोस्ती नहीं होती|
जो गुल महकते है हर हल में 'शकील',
उन्हें शबनम से कोई बंदगी नहीं होती|
achchi likhi hai shayad mere liye hai....
ReplyDeleteha!! ha !!ha!! ha !!ha!! ha !!ha!! ha !!
pranam sir
happy diwali
बहुत खूब! विचारों की पवित्रता और अभिव्यक्ति की सादगी इस रचना को महत्व प्रदान करती है.
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