Saturday, October 17, 2009
मुबारकबाद
तेरे चिराग रोशन रहे ज़माने में,
हमें भी रोशनी मिले तेरे आस्ताने में|
सितारे चमकते रहे तेरे आशियाने में,
हमें भी शरफ मिले तेरे दौलत खाने में|
तेरा इकबाल बुलंद रहे हर ज़माने में,
हमें भी दुआए मिले तेरे इबादत खाने में|
अंधेरों को दूर कर तू नूर बन कर,
हमें भी जिला मिले तेरे सरपरस्ताने में|
मुबारक हो सब को रोशनी और खुशियों का दिन,
सब को मिले खुशियाँ 'शकील'खुदा के ख़जाने में|
(आस्ताना-ऋषी का आश्रम,जिला-आभा,शरफ-सम्मान,सरपरस्ताना-पोषण)
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बहुत नेक खयाल हैं. अभिव्यक्ति भी बहुत सधी हुई है. बधाई!
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