
उनके हुस्न का बे-हिजाब होना था,
फ़िर तो इशक़ को बेताब होना था|
मेरे दिल का हाल न पूछो यारों,
उसका हाल तो बेहाल होना था|
शबाब हुआ जो उनका जलवागर,
हर शय को तो खाक होना था |
हौशा में आए तो आए कोई कैसे,
निगाहों से उनकी फ़िर वार होना था
उनका जमाले जलाल था हर तरफ,
हमारे हाल का मलाल किसे होना था|
खुदा बचाए इनकी शौक अदाओं से 'शकील',
हमें तो हर हाल में हलाल होना था|
(हिजाब-पर्दा, शबाब-जवानी, शय-वस्तु, मलाल-दुःख, जमाल-सौन्दर्य, जलाल-प्रताप)