दुनिया में सबसे न्यारा है,
तिरंगा हम सब को प्यारा है|
हम सब तुझ पर कुर्बान,
तू वतन का पहरेदार हमारा है|
तेरी शान हमारी आन है,
तुझ पर सलाम हमारा है|
तेरे रंगों को अहसास सारा है,
वतन को दिया तेरा नारा है|
तू यूँ ही शान से लहराता रहे,
यही सिर्फ अरमाँ हमारा है|
तू अमन का आलामदर है,
किरदार-ए- हिंद तू हमारा है|
तू इंसानियत का पैगाम है,
इसमें रंग नहीं लहू हमारा है|
Wednesday, January 27, 2010
Monday, January 25, 2010
रहनुमाई
उम्रे हयात की जब शाम आती है,
न नमाज़ न तौबा कम आती है|
तेरी रहबरी भी रहज़नी से कम नही,
मेरी आवारगी भी रहनुमाई के काम आती है|
उजाला ही नही सब कुछ राहे तमन्ना में,
तीरगी हो तो अक्सर बसीरत काम आती है|
समझ लेते है हम मुश्किलों को मुसीबत,
मुश्किलें ही अक्सर मुसीबतों के काम आती है|
वफ़ा की तो सब करते है उम्मीद 'शकील',
बे-वफाई भी तो दुश्मनी निभाने के काम आती है|
( हयात-ज़िंदगी,रहबरी-पथ-प्रदर्शन,रहज़नी-लूटेरापन,
तीरगी-अंधकार,बसीरत-दिल की नज़र/प्रतिभा,खुदगर्ज़ी-स्वार्थपरता )
न नमाज़ न तौबा कम आती है|
तेरी रहबरी भी रहज़नी से कम नही,
मेरी आवारगी भी रहनुमाई के काम आती है|
उजाला ही नही सब कुछ राहे तमन्ना में,
तीरगी हो तो अक्सर बसीरत काम आती है|
समझ लेते है हम मुश्किलों को मुसीबत,
मुश्किलें ही अक्सर मुसीबतों के काम आती है|
उनकी वादा खिलाफी पे है क्यो हंगामा बरपा,
खुदगर्ज़ी भी तो आज़माने के काम आती है|
वफ़ा की तो सब करते है उम्मीद 'शकील',
बे-वफाई भी तो दुश्मनी निभाने के काम आती है|
( हयात-ज़िंदगी,रहबरी-पथ-प्रदर्शन,रहज़नी-लूटेरापन,
तीरगी-अंधकार,बसीरत-दिल की नज़र/प्रतिभा,खुदगर्ज़ी-स्वार्थपरता )
Tuesday, January 5, 2010
साहिले-ए-दरिया
आज वो भी ग़म के मारे नज़र आने लगे,
उड़ गई नींद इशक़ में तारे नज़र आने लगे|
लब खामोश, दिल परेशाँ, आंखों में नींद,
अब तो वो कुछ ज़्यादा प्यारे नज़र आने लगे|
लबों से अब वो भी साजे इशक़ गुनगुनाने लगे,
आँखों ही आँखों में वो न जाने क्यों शर्माने लगे|
हम तो समझते थे उनको दरिया- ए- तूफाँ,
आज हमे वो साहिल-ए-दरिया नज़र आने लगे|
कल तलक था उनका खुद दिल पर इख़्तियार,
आज वो ही'शकील' दिल के मारे नज़र आने लगे|
उड़ गई नींद इशक़ में तारे नज़र आने लगे|
लब खामोश, दिल परेशाँ, आंखों में नींद,
अब तो वो कुछ ज़्यादा प्यारे नज़र आने लगे|
लबों से अब वो भी साजे इशक़ गुनगुनाने लगे,
आँखों ही आँखों में वो न जाने क्यों शर्माने लगे|
हम तो समझते थे उनको दरिया- ए- तूफाँ,
आज हमे वो साहिल-ए-दरिया नज़र आने लगे|
कल तलक था उनका खुद दिल पर इख़्तियार,
आज वो ही'शकील' दिल के मारे नज़र आने लगे|
Subscribe to:
Posts (Atom)